नैप्च्यून यानी वरुण ग्रह

 दोस्तों जैसा कि आप सभी जानते हैं कि हमारे सौर मंडल में आठ ग्रह हैं पहले इनकी गिनती नौ हुआ करती थी, लेकिन अभी आठ है जिनसे जुड़ी कुछ बातें हम आपको अपने चैनल गलत सी के रहस्य के माध्यम से बताते रहते हैं आज हम बात करेंगे हमारे सौर मंडल के आठवें ग्रह वरुण यानी की नेपच्यून ग्रह के वरुण या नेप्चून हमारे सौरमंडल में सूर्य से आठवां ग्रह है ज्वालामुखी वाला पिंड स्नैप चुन के सबसे बड़े उपग्रह टाइटन पर मौजूद है नैप्च्यून सूर्य से प्रत्येक के मुकाबले तीस गुना ज्यादा दूरी पर स्थित है इसके बारे में वाइजर टु स्पेस मिशन ने सन् उन्नीस सौ नवासी में पता लगाया था वाइजर की भेजी तस्वीरों से पता चला है? कि इसकी सफाई भी चंद्रमा के जैसी ही है वाइज़ तुने ये भी पता लगाया था कि ट्राइटन की सतह से निकलने वाला लावा कोई और पदार्थ या अंतरिक्ष से आठ किलोमीटर ऊपर उठ रहा है हालांकि बहुत संभव है की ट्राइटन से निकलने वाला पदार्थ लावा नहीं होकर बर्फ़ भी हो सकता है नासा के वैज्ञानिक के अनुसार पूरी सतह वाटर आई से भरी हुई है नैप्च्यून यानी वरुण ग्रह हमारी पृथ्वी से चार गुना बढ़ा है नेपच्यून ग्रह भी हमारे सूर्य का चक्कर लगाता है क्योंकि 

अब प्लूटो को ग्रह नहीं माना जाता इसलिए नेपच्यून सौर मंडल का आखिरी आठवां ग्रह है इसकी सूर्य से दूरी चार दशमलव पांच बिलियन किलोमीटर है इसकी सूर्य से दूरी दो अरब अठहत्तर करोड़ इकतीस लाख दो हज़ार तीन सौ तिरासी मिल है सूर्य का प्रकाश नेप्चून तक दो सौ उनचास मिनट में पहुंचता है जबकि यह प्रकाश धरती पर साढ़े आठ मिनट में पहुंचता है नचुन ग्रह अपने अक्ष पर घूमने में सोलह घंटे का समय लगता है इसलिए यहाँ एक दिन सोलह घंटे का होता है हमारी प्रति पर एक दिन चौबीस घंटे का होता है क्योंकि प्रति अपने अक्ष पर चौबीस घंटे में एक चक्कर पूरा कर लेती है नैपकिन पर साल पृथ्वी के एक सौ पैंसठ साल के बराबर होता है नैप्च्यून सूर्य का चक्कर लगाने में यानी एक सौ पैंसठ साल का समय लेता है सौर मंडल के बाहरी घरों को अपनी कक्षा पूरी करने में कई दशक लग जाते हैं इसलिए उन्हें अक्सर ऐसी यात्रा की अनुमति देने के लिए ठीक से गठबंधन नहीं किया गया है प्रत्येक सदी में कई बार इसलिए हम कल्पना करते हैं कि नेप्चून की और शुरू किया गया एक अंतरिक्ष यान बृहस्पति के चारों ओर कम से कम एक गुरुत्वाकर्षण सहायता पैंतरेबाज़ी करेगा इसने न्यू होरिजोंस को बीस, 

हज़ार किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से बढ़ने और तीन साल की यात्रा के समय को घटाकर पुल तक पहुंचा दिया नेपच्यून पृथ्वी से दिखाई नहीं देता और सौरमंडल का यह एकमात्र ऐसा ग्रह है जिसे देखकर नहीं ढूंढा गया बल्कि गणितीय भविष्यवाणी द्वारा इसे ढूंढा गया है यानी गणितीय गणना के द्वारा इसे खोजा गया है यूरेनस की कक्षा में अप्रत्याशित परिवर्तन ने एलेक्सी से बागवान को प्रेरित किया कि इसकी कक्षा एक अज्ञात ग्रह द्वारा गुरुत्वाकर्षण गड़बड़ी के अधीन थे नेपच्यून पर एक दिन की लंबाई पृथ्वी दिवस के अनुसार सोलह घंटे हैं नेपच्यून ग्रह पर चलने वाली हवाओं की तीव्रता इतनी अधिक है अगर ये प्रति पर चल जाए तो विशाल वृक्षों को भी जड़ से उखाड़ सकती है आपकी जानकारी के लिए बता दे नेपच्यून ग्रह पर बारह सौ मील प्रति घंटा की तेज हवाएं चलती है नेपच्यून प्लैनेट की जलवायु बेहद सक्रिय है इसके ऊपरी वायुमंडल में बड़े तूफान अक्सर आते रहते हैं और उच्च गति वाली सौर हवाएं एक हज़ार तीन सौ चालीस किलोमीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से चलती है नैपकिन का ऊपरी वायुमंडल अस्सी प्रतिशत हाइड्रोजन यानी एचटू और उन्नीस प्रतिशत हीलियम और मीथेन गैस से बना है नैपकिन 

की सूर्य से करीब चार दशमलव पांच अरब किलोमीटर की दूरी है इसकी इतनी दूरी से सबसे ज्यादा ठंडा ग्रह बनाती है पर वास्तव में इसे जितना ठंडा होना चाहिए ये उतना ठंडा है नहीं इस ग्रह की सतह का तापमान माइनस दो सौ डिग्री सेल्सियस से ज्यादा नहीं बढ़ता वैज्ञानिक के अनुसार इसका वास्तविक तापमान ऐब्सलूट ज़ीरो यानी की माइनस दो सौ तिहत्तर डिग्री सेल्सियस तक होना चाहिए पर ये उससे कहीं ज्यादा गर्म है नैप्च्यून के अपने चौदह चंद्रमा है जो हैं ट्राइटन कल से नाइट मैरिड प्रोटीन्स हिप्पोकैंप नौसो दस पीना गलेटिया है लिमिटेड बस माथे लौंडे लारिसा साव आज हम बात करेंगे उन्हीं में से कुछ चंद्रबाबू के बारे में प्रोटियस नेप्चून के ही दूसरे चाँद प्रोटियस को सबसे बड़ा माना जाता है हैप्पी कैंप रोटी इससे काफी करीब है नेप्चून के नए चाँद का साइज करीब अठारह मील है यह धरती के इकलौते चाँद से करीब सौ गुना छोटा है वैज्ञानिक की मानें तो प्रोटीन्स का टूटा हिस्सा ही हिप्पोकैंप हो सकता है, जिससे बहुत करीब है वैज्ञानिक के मुताबिक कॉमेट प्रयास से टकराया होगा और टूटकर नया चाँद बन गया होगा हिप्पोकैंप काफी ठंडा है नेप्चून का सबसे बड़ा चाँद प्रोटियस 

भी काफी ठंडा है न राइड ये उनका तीसरा सबसे बड़ा चंद्रमा है इसकी लक्षणे चुन से पचपन लाख तेरह हज़ार चार सौ किलोमीटर है इसका व्यास तीन सौ चालीस किलोमीटर है नए रेड सागरी जलपरी है और ने रोज़ ऑर्डर इसकी पच्चास पुत्रों में से एक है इसकी खोज कई पर ने सन् उन्नीस सौ उनचास में की थी न रेड की कक्षा सौर मंडल के किसी भी ग्रह या चन्द्रमा से ज्यादा भी केंद्रित है न रेड्डी ने चुनाव से दूरी तेरह लाख तिरपन हज़ार छे सौ किलोमीटर से छियानवे लाख तेईस हज़ार सात सौ किलोमीटर तक बिजली होती है इसकी विचित्र कक्षा से लगता है कि एक क्षुद्रग्रह है यह काई पर पट्टे का पिंड है ट्राइटन ट्राइटन स्टोर मंडल के आठवें ग्रह वर्ण का सबसे बड़ा उपग्रह है और ये हमारे सौर मंडल के सारे चंद्र अभाव में सातवाँ सबसे बड़ा चंद्रमा है अगर वरुण के सारे चंद्रबाबू का कुल द्रव्यमान देखा जाए तो उसका निन्यानवें दशमलव पांच प्रतिशत इससे उपग्रह में निहित है ट्राइटन वर्ण का इकलौता उपग्रह है जो आप के गुरुत्वाकर्षण खिंचाव से अपना आकार गोल कर चुका है बाकी सभी चंद्रमाओं के आकार बेढंगे है टाइटन का अपना पतला बबलू मंडल भी हैं जिसमे नाइट्रोजन के साथ साथ थोड़ी मात्रा 

में मीथेन और कार्बन मोनोऑक्साइड भी मौजूद हैं ट्राइटन की सतह पर औसत तापमान माइनस. दो सौ पैंतीस दशमलव दो सेंटिग्रेड है उन्नीस सौ छिहत्तर में पांच से गुजरते हुए वाइजर देते ने कुछ ऐसी तस्वीरें ली जिनमें ट्राइटन के वातावरण में बादलों जैसी कुछ चीजें नजर आईं थीं ट्राइटन वर्ण के इर्द गिर्द अपनी कक्षा में परिक्रमा में प्रतिगामी चाल रखता है ट्राइटन की सतह पर तापमान चौंतीस दशमलव पांच डिग्री कैल्विन रहता है जो प्लूटो के जैसा है इसकी चमक ज्यादा है जिससे सूर्य की अत्यल्प रौशनी भी छोटी मात्रा में अवशोषित होती है इस तापमान पर मिथेन, नाइट्रोजन और कार्बन डाइऑक्साइड जमकर ठोस बन जाते हैं इस पर कुछ ही क्रिएटर दिखाई देते हैं इसकी सतह नहीं है आज के वीडियो में बस इतना ही अगले वीडियो हमें किस ग्रह या उपग्रह पर बनानी चाहिए, हमें कमेंट में लिख कर जरूर बताएं एक बार फिर मिलते हैं एक और ऐसी ही वीडियो के साथ तब तक के लिए नमस्का

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